अगर आपकी ज़मीन नेशनल हाईवे (National Highway) या एक्सप्रेसवे के किनारे है और आप उसे बेचना चाहते हैं, तो अब सतर्क हो जाइए। केंद्र सरकार और सड़क परिवहन मंत्रालय ने हाल ही में भूमि अधिग्रहण और नेशनल हाईवे अधिनियम (National Highways Act) से जुड़े कई नए नियम लागू किए हैं। इन बदलावों का असर सीधे जमीन मालिकों, खरीदारों और निवेशकों पर पड़ेगा। खासकर उन लोगों पर जो हाईवे किनारे जमीन को रियल एस्टेट, पेट्रोल पंप, होटल या अन्य व्यवसायिक उपयोग के लिए खरीदते-बेचते हैं।
ये नियम केवल सरकारी अधिग्रहण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब इसमें पारदर्शिता, समय सीमा और ज़मीन वापस लौटाने जैसे प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। तो आइए विस्तार से समझते हैं कि नया नियम क्या है, क्यों लाया गया है और इसका असर जमीन मालिकों पर कैसे पड़ेगा।
नया नियम क्या कहता है?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 2025 से जमीन अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को समयबद्ध कर दिया है। इसके अलावा, नेशनल हाईवे अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों के तहत:
- अगर अधिग्रहित जमीन 5 साल तक उपयोग में नहीं आती, तो वह जमीन मूल मालिक को वापस कर दी जाएगी।
- भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद, मालिक उस जमीन को बेच या ट्रांजैक्ट नहीं कर पाएंगे।
- मुआवज़ा तय करने का आधार, अधिग्रहण नोटिफिकेशन के समय की असली बाज़ार कीमत (market value) होगी।
- भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च करने की तैयारी है।
क्यों ज़रूरी था यह बदलाव?
भारत में हाईवे और एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट्स अक्सर भूमि अधिग्रहण में देरी की वजह से अटक जाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 60% हाईवे प्रोजेक्ट्स की देरी भूमि अधिग्रहण और क्लियरेंस में होती है। इसका असर न सिर्फ विकास कार्यों पर, बल्कि निवेश और रोज़गार सृजन पर भी पड़ता है।
नई व्यवस्था से:
- ज़मीन मालिकों को अधिक पारदर्शिता मिलेगी।
- प्रोजेक्ट समय पर पूरे होंगे।
- फर्जी ट्रांजैक्शन और स्पेक्युलेटिव निर्माण पर रोक लगेगी।
जमीन बेचने वालों के लिए क्या बदलेगा?
1. ट्रांजैक्शन पर रोक
अगर आपकी ज़मीन हाईवे प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित हो गई है और नोटिफिकेशन जारी हो चुका है, तो आप उस जमीन को न तो बेच पाएंगे, न ही उसमें बड़ा निर्माण कर पाएंगे।
2. 5 साल का प्रावधान
यदि सरकार ने आपकी जमीन अधिग्रहित कर ली और 5 साल में उसका उपयोग नहीं हुआ, तो वह जमीन आपको वापस मिल सकती है। यह जमीन मालिकों के लिए राहत की बात है।
3. मुआवज़े का निर्धारण
अब मुआवज़ा तय होगा उस तारीख़ के अनुसार जब अधिग्रहण की अधिसूचना निकली थी। मतलब अगर नोटिफिकेशन 2025 में निकला और आपकी जमीन 2027 में ली गई, तो कीमत 2025 की गिनी जाएगी।
निवेशकों और खरीदारों पर असर
हाईवे किनारे जमीन खरीदना हमेशा से निवेशकों के लिए आकर्षक रहा है। लेकिन अब नए नियम के बाद सावधानी बरतनी होगी।
किन बातों का ध्यान रखें:
- खरीदने से पहले देखें कि क्या जमीन अधिग्रहण नोटिफिकेशन के तहत है।
- अगर जमीन पहले से चिन्हित है, तो ट्रांजैक्शन अमान्य हो सकता है।
- हाईवे प्रोजेक्ट के आसपास निवेश करने से पहले स्थानीय प्रशासन से क्लीयरेंस लें।
तुलना: पुरानी बनाम नई व्यवस्था
पहलू | पहले की व्यवस्था | नई व्यवस्था (2025 से) |
---|---|---|
जमीन उपयोग न होने पर | कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं | 5 साल बाद जमीन वापस मालिक को |
अधिग्रहण के बाद ट्रांजैक्शन | कई बार लेन-देन होते रहे | पूरी तरह प्रतिबंधित |
मुआवज़े का निर्धारण | कई बार मनमाना तय होता था | अधिसूचना की तारीख़ पर आधारित |
पारदर्शिता | सीमित | ऑनलाइन पोर्टल से पब्लिक |
राज्यों को भी रैंकिंग मिलेगी
सरकार अब राज्यों को Ease of Land Acquisition के आधार पर रैंक करेगी। मतलब जो राज्य तेज और पारदर्शी तरीके से जमीन अधिग्रहण करेंगे, उन्हें बेहतर रैंक मिलेगा। इससे राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी और प्रोजेक्ट्स तेज़ी से पूरे होंगे।
वास्तविक उदाहरण
- छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में कई हाईवे प्रोजेक्ट्स जमीन अधिग्रहण की वजह से सालों तक अटके रहे।
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर भी कई जगह किसानों और जमीन मालिकों के विरोध की वजह से देरी हुई थी।
- अब नए प्रावधानों के तहत ऐसी देरी पर काफी हद तक नियंत्रण हो सकेगा।
किन्हें सबसे ज्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है?
- जमीन मालिक – अगर आपकी जमीन अधिग्रहण सूची में आ चुकी है।
- निवेशक – अगर आप हाईवे किनारे जमीन लेकर होटल, ढाबा या कॉम्प्लेक्स बनाना चाहते हैं।
- रियल एस्टेट कंपनियां – जिन्हें हाईवे प्रोजेक्ट्स के आसपास टाउनशिप या प्लॉटिंग करनी है।
बाहरी संदर्भ और आधिकारिक स्रोत
FAQ,s
Q1. अगर मेरी जमीन हाईवे प्रोजेक्ट में आ गई है, तो क्या मैं उसे बेच सकता हूँ?
नहीं, एक बार नोटिफिकेशन जारी हो गया तो आप जमीन न बेच सकते हैं, न ट्रांसफर कर सकते हैं।
Q2. जमीन वापस मिलने का नियम कैसे लागू होगा?
अगर अधिग्रहित जमीन 5 साल तक उपयोग में नहीं आई, तो वह जमीन मूल मालिक को लौटाई जाएगी।
Q3. मुआवज़ा कब तय होगा?
मुआवज़ा अधिसूचना की तारीख़ के बाज़ार मूल्य पर तय होगा।
Q4. क्या निवेशक अभी भी हाईवे किनारे जमीन खरीद सकते हैं?
हाँ, लेकिन खरीदने से पहले यह जांचना ज़रूरी है कि जमीन किसी अधिग्रहण नोटिफिकेशन में शामिल तो नहीं है।
Q5. राज्यों की रैंकिंग क्यों की जा रही है?
ताकि भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता और तेजी आए और हाईवे प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे हो सकें।
निष्कर्ष
नेशनल हाईवे किनारे जमीन बेचने या खरीदने वालों के लिए नए नियम गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। अब अधिग्रहण प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी, मुआवज़ा तय और स्पष्ट होगा, और जमीन मालिकों को सुरक्षा भी मिलेगी कि अगर उनकी जमीन लंबे समय तक उपयोग में नहीं आई, तो वह उन्हें वापस मिल जाएगी।
जिन लोगों की जमीन हाईवे के करीब है, उन्हें अब हर कदम पर सतर्क रहना होगा। निवेश से पहले स्थानीय प्रशासन से जानकारी लेना और कानूनी सलाह लेना बेहद ज़रूरी है। सही समय पर सही जानकारी लेकर ही आप इस बदलाव को अपने लिए फायदेमंद बना सकते हैं।
Nand Kishor is a content writer covering business, economy, and world affairs. With a background in journalism, he focuses on clear, ethical, and insightful reporting. Outside of work, he enjoys chess, cricket, and writing short stories.