सरकार ने सोमवार को आयकर विधेयक, 2025 का संशोधित संस्करण लोकसभा में पेश किया। इससे पहले पिछले सप्ताह पुराना मसौदा वापस ले लिया गया था। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के अनुसार, नए मसौदे में “मूल सार” बरकरार है, लेकिन इसमें चयन समिति (Select Committee) की सिफारिशों को शामिल किया गया है, ताकि प्रावधान सरल हों, अनुपालन का बोझ कम हो और बचत को बढ़ावा मिले, खासकर मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायों के लिए।
यह विधेयक मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा, जो पिछले छह दशकों से लागू है। अधिकारियों का कहना है कि नया कानून भारत की प्रत्यक्ष कर प्रणाली को आधुनिक बनाएगा और व्यक्तियों व व्यवसायों के लिए अनुपालन आसान करेगा।
पुराना विधेयक क्यों वापस लिया गया
फरवरी में पेश किए गए आयकर विधेयक, 2025 के पहले मसौदे पर हितधारकों, कर विशेषज्ञों और चयन समिति ने प्रतिक्रिया दी थी। ढांचा स्वागत योग्य था, लेकिन कुछ प्रावधानों और भाषा की जटिलता पर सवाल उठे।
8 अगस्त को सरकार ने पुराना मसौदा वापस ले लिया। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “संशोधित विधेयक अस्पष्टताओं को हटाता है और स्पष्टता को मजबूत करता है।”
संशोधित मसौदे में प्रमुख बदलाव
1. खाली मकानों पर अतिरिक्त कर नहीं
पहले मसौदे में खाली आवासीय संपत्तियों पर अधिक कर लगाने का प्रस्ताव था। चयन समिति की सिफारिश पर यह प्रावधान हटा दिया गया है। अब खाली संपत्ति का कर प्रबंधन मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार ही रहेगा।
2. सरल भाषा और संरचना
संशोधित विधेयक में भाषा को सरल किया गया है, ताकि आम करदाता भी आसानी से समझ सके। तकनीकी शब्दों की जगह आसान शब्दों का प्रयोग किया गया है।
3. ईमानदार गलतियों पर पेनल्टी में राहत
नए प्रावधान के तहत अनजाने में हुई गलतियों पर पेनल्टी माफ की जा सकती है। इसका उद्देश्य ईमानदार फाइलिंग को बढ़ावा देना है।
4. मध्यम वर्ग और MSME को राहत
हालांकि नई कर स्लैब का पूरा ढांचा बजट के साथ तय होगा, लेकिन संकेत हैं कि धारा 87A के तहत छूट सीमा बढ़ सकती है और स्लैब पुनर्गठित हो सकते हैं, जिससे कामकाजी पेशेवरों और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों का कर बोझ कम हो।
5. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बदलाव
परिभाषाओं और प्रक्रियाओं को अंतरराष्ट्रीय कर मानकों के अनुरूप अद्यतन किया गया है, जिससे विदेशी निवेशकों के लिए भारत की कर प्रणाली अधिक अनुमानित बनेगी।

करदाताओं पर असर
व्यक्तिगत करदाताओं को सरल फाइलिंग और कर-मुक्त आय सीमा में संभावित वृद्धि से फायदा हो सकता है। व्यवसायों, खासकर MSME, को अनुपालन में आसानी और स्लैब में राहत से निवेश व संचालन के लिए अधिक पूंजी मिल सकती है।
कर विशेषज्ञों ने खाली मकानों पर उच्च कर का प्रस्ताव हटाने का स्वागत किया है। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कहा, “वर्तमान संरचना को बरकरार रखना उन मालिकों के लिए राहत है जिनके पास विरासत में या अनुपयोगी मकान हैं।”
संसद में आगे की राह
विधेयक पर अब लोकसभा में चर्चा होगी, जहां सदस्य और संशोधन प्रस्तावित कर सकते हैं। पास होने के बाद यह राज्यसभा में जाएगा और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी लेगा।
सरकार के पास कानून बनने के बाद विस्तृत नियम और लागू करने की समय-सीमा तय करने की योजना है। कुछ प्रावधान अगले वित्त वर्ष से लागू हो सकते हैं, ताकि करदाता बदलावों के लिए तैयार हो सकें।
आधिकारिक स्रोत और दस्तावेज
- संसद विधेयक ट्रैकिंग – PRS Legislative Research: आयकर विधेयक, 2025
- वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 – आयकर विभाग, भारत सरकार
- केंद्रीय बजट कर प्रस्ताव – वित्त मंत्रालय – बजट दस्तावेज़
टाइमलाइन एक नजर में
तारीख | घटना |
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13 फरवरी 2025 | लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 का पहला मसौदा पेश |
21 जुलाई 2025 | चयन समिति ने सिफारिशें सौंपी |
8 अगस्त 2025 | पुराना मसौदा वापस लिया गया |
11 अगस्त 2025 | संशोधित विधेयक लोकसभा में पेश |
जन प्रतिक्रिया और उम्मीदें
सोशल मीडिया और उद्योग समूहों में शुरुआती प्रतिक्रिया सकारात्मक है। लोग इसे कर कानूनों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक कदम मान रहे हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ पूंजीगत लाभ, कटौतियों और छूट पर स्पष्टता की मांग कर रहे हैं।
उपभोक्ता संगठनों ने सरकार से अपील की है कि सरलीकरण के नाम पर वर्तमान लाभकारी प्रावधान न हटाए जाएं। उनका कहना है कि गृह ऋण और चिकित्सा व्यय जैसी कटौतियां बरकरार रहनी चाहिए।
निष्कर्ष
आयकर विधेयक, 2025 का पुनर्प्रस्तुतीकरण भारत के कर सुधारों की दिशा में अहम कदम है। पुराने मसौदे से जुड़ी चिंताओं जैसे संपत्ति कर, जटिल भाषा और अनुपालन बोझ को संबोधित कर सरकार संतुलित समाधान लाने की कोशिश कर रही है।
अगर वर्तमान स्वरूप में पारित हुआ, तो यह आने वाले दशकों के लिए भारत के प्रत्यक्ष कर ढांचे को नया रूप दे सकता है, जिसका असर व्यक्तिगत करदाताओं, व्यवसायों और निवेशकों सभी पर पड़ेगा।
Nand Kishor is a content writer covering business, economy, and world affairs. With a background in journalism, he focuses on clear, ethical, and insightful reporting. Outside of work, he enjoys chess, cricket, and writing short stories.