भारत सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY-G) की सूची 2025 जारी कर दी है। इस सूची से लाखों ग्रामीण परिवारों को यह जानने में मदद मिलेगी कि उन्हें पक्के घर के लिए वित्तीय सहायता मिलेगी या नहीं। लाभार्थी अपना नाम अब ऑनलाइन देख सकते हैं।
यह योजना क्या है?
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) एक केंद्र सरकार की पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को पक्के घर उपलब्ध कराना है। 2016 में शुरू हुई इस योजना के तहत कच्चे या जर्जर मकानों में रहने वाले परिवारों को ₹1.2 लाख से ₹1.8 लाख तक की सहायता दी जाती है। साथ ही शौचालय और रोजगार गारंटी (मनरेगा) से अतिरिक्त मदद भी मिलती है।
2025 की सूची कब जारी हुई?
जनवरी 2025 में सरकार ने लाभार्थियों की नई सूची जारी की। यह सूची Awaas+ सर्वे और SECC-2011 के आंकड़ों के आधार पर बनाई गई है। अप्रैल 2025 तक ग्राम सभाओं के जरिए सत्यापन पूरा किया गया और उसके बाद अंतिम नाम जोड़े गए।
सूची कहां देखें?
यह सूची आधिकारिक पोर्टल पर उपलब्ध है:
लाभार्थी सूची देखने के चरण:
- पोर्टल पर जाएं।
- Awaassoft > Report पर क्लिक करें।
- राज्य, ज़िला, ब्लॉक और ग्राम पंचायत चुनें।
- कैप्चा डालें और Submit दबाएं।
- सूची डाउनलोड करें या नाम खोजें।
लाभार्थी कौन हैं?
इस योजना में ऐसे परिवार शामिल किए जाते हैं जो कच्चे घरों में रहते हैं या बेघर हैं। प्राथमिकता मिलती है:
- अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) परिवारों को
- भूमिहीन मजदूरों और ग्रामीण गरीबों को
- महिला मुखिया वाले परिवारों को
- जिनके पास पक्का घर नहीं है
अंतिम सूची ग्राम सभा द्वारा सत्यापित की जाती है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
2025 की नई सूची क्यों जारी हुई?
- कई परिवार अब भी बिना पक्के घरों के हैं।
- सरकार ने 2026 तक 2.95 करोड़ ग्रामीण घर बनाने का लक्ष्य रखा है।
- कुछ राज्यों में निर्माण लागत बढ़ने और देरी के कारण नई मॉनिटरिंग जरूरी हुई।
- Awaas+ सर्वे के जरिए नए लाभार्थियों को जोड़ा गया।
योजना कैसे काम करती है?
- केंद्र और राज्य सरकार मिलकर योजना चलाते हैं।
- केंद्र का हिस्सा: 60% (पहाड़ी व उत्तर-पूर्व राज्यों में 90%)
- राज्य का हिस्सा: 40% (पहाड़ी व उत्तर-पूर्व राज्यों में 10%)
- वित्तीय सहायता:
- सामान्य क्षेत्रों में ₹1.2 लाख
- पहाड़ी/SC/ST वर्ग के लिए ₹1.3–1.8 लाख
- अतिरिक्त मदद: ₹12,000 शौचालय (स्वच्छ भारत मिशन) + 90–95 दिन की मज़दूरी (मनरेगा)
सभी पैसे सीधे DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) से खाते में भेजे जाते हैं।
मुख्य तथ्य तालिका
पहलू | विवरण (2025 अपडेट) |
---|---|
योजना का नाम | प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY-G) |
शुरूआत का वर्ष | 2016 |
2025 सूची जारी | जनवरी 2025 |
सत्यापन विधि | SECC 2011 + Awaas+ सर्वे + ग्राम सभा |
वित्तीय सहायता | ₹1.2–1.8 लाख + शौचालय सब्सिडी + मनरेगा मज़दूरी |
लक्ष्य (2026 तक) | 2.95 करोड़ ग्रामीण घर |
आधिकारिक पोर्टल | pmayg.nic.in |
राज्यों से ताज़ा अपडेट
- उत्तर प्रदेश: 2025-26 में 60 लाख ग्रामीण घर बनाने का लक्ष्य।
- असम: Awaas Plus सर्वे से 3.76 लाख नए घर मंजूर।
- कर्नाटक: निर्माण लागत बढ़ने से प्रगति धीमी, मैसूर जिले में केवल 64% घर पूरे हुए।
ग्रामीण भारत पर असर
2025 की सूची जारी होने से लाखों परिवारों को राहत मिली है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, फंड सीधे खातों में पहुंचेंगे और ग्रामीण भारत में पक्के घरों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। हालांकि, निर्माण सामग्री की महंगाई और समय पर किस्त जारी करना बड़ी चुनौती बनी हुई है।
(FAQs)
1. मैं कैसे जानूं कि मेरा नाम सूची में है?
pmayg.nic.in पर जाकर Awaassoft > Report में अपना राज्य, जिला और ग्राम पंचायत चुनकर सूची देखें।
2. आवेदन के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ चाहिए?
आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, राशन कार्ड, आय प्रमाणपत्र और ग्राम सभा की मंजूरी।
3. योजना में कितनी राशि मिलती है?
लाभार्थियों को ₹1.2 लाख से ₹1.8 लाख तक मिलते हैं, साथ ही शौचालय सब्सिडी और मनरेगा मज़दूरी।
4. अंतिम सूची कौन तय करता है?
ग्राम सभा द्वारा सर्वे डाटा सत्यापित कर अंतिम नाम तय किए जाते हैं।
5. क्या शहरी लोग भी आवेदन कर सकते हैं?
नहीं, PMAY-G केवल ग्रामीण परिवारों के लिए है। शहरी आवेदकों के लिए PMAY-U (अर्बन) है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सूची 2025 भारत सरकार के “2026 तक सभी को घर” लक्ष्य की ओर एक बड़ा कदम है। यह योजना ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित आवास, स्वच्छता और बेहतर जीवन का अवसर देती है। सही लाभार्थियों तक फंड पहुंचाने के लिए सरकार ने डिजिटल व पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई है।
Nand Kishor is a content writer covering business, economy, and world affairs. With a background in journalism, he focuses on clear, ethical, and insightful reporting. Outside of work, he enjoys chess, cricket, and writing short stories.