PM Dhan-Dhaanya Krishi Yojana: धान-धान्य कृषि योजना से छोटे किसानों को कैसे मिलेगा सबसे बड़ा फायदा जानिए!

भारत की पहचान हमेशा से एक कृषि प्रधान देश के रूप में रही है। लेकिन आज भी देश के कई ज़िले ऐसे हैं जहाँ खेती पिछड़ी हुई है कम उत्पादन, सिंचाई की कमी, भंडारण सुविधाओं का अभाव और कर्ज़ तक सीमित पहुँच किसानों की बड़ी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने जुलाई 2025 में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) की शुरुआत की है। यह छह साल का मिशन मोड कार्यक्रम है, जो 100 कमज़ोर कृषि ज़िलों में लागू किया जाएगा और लगभग 1.7 करोड़ किसानों को सीधा लाभ देगा।

इस योजना के लिए हर साल 24,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। खास बात यह है कि पहले की तरह बिखरी हुई योजनाओं के बजाय इसमें 11 मंत्रालयों की 36 अलग-अलग योजनाओं को मिलाकर एकीकृत रूप से लागू किया जाएगा। ठीक उसी तरह, जैसे आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम ने पिछड़े ज़िलों में परिवर्तन लाया था।

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना क्या है?

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने 16 जुलाई 2025 को मंज़ूरी दी। यह योजना वित्तीय वर्ष 2025–26 से 2030–31 तक चलेगी और इसका मक़सद है ऐसे ज़िलों में खेती को मज़बूत करना जहाँ उत्पादन राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।

मुख्य बिंदु:

  • कवरेज: 100 कृषि ज़िले
  • अवधि: 6 साल
  • वार्षिक बजट: ₹24,000 करोड़
  • लाभार्थी: 1.7 करोड़ किसान
  • क्रियान्वयन: 36 केंद्रीय योजनाओं का एकीकरण
  • निगरानी: 117 संकेतकों पर डिजिटल डैशबोर्ड

क्यों ज़रूरी है यह योजना?

भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है, लेकिन चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं:

  • असमान विकास: कुछ ज़िले अधिशेष पैदा करते हैं, तो कुछ फसल के लिए जूझते रहते हैं।
  • कम फसल चक्र: सिंचाई की कमी से कई किसान साल में केवल एक ही फसल ले पाते हैं।
  • भंडारण की समस्या: कटाई के बाद लगभग 10% अनाज बर्बाद हो जाता है।
  • कर्ज़ की दिक्कत: छोटे किसान बैंकों से कर्ज़ नहीं ले पाते और साहूकारों पर निर्भर रहते हैं।

PMDDKY इन समस्याओं का हल जिला स्तर पर कार्ययोजना बनाकर और हर महीने प्रगति की निगरानी करके देगा।

योजना के मुख्य उद्देश्य

इस योजना का मक़सद सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं बल्कि समग्र कृषि विकास करना है।

प्रमुख लक्ष्य:

  1. किसानों की उत्पादकता बढ़ाना – उन्नत बीज और तकनीक से।
  2. सिंचाई का विस्तार – ताकि साल में एक से अधिक फसल ली जा सके।
  3. फसल विविधीकरण – सिर्फ धान-गेहूँ पर निर्भरता कम करना।
  4. भंडारण और प्रसंस्करण – गाँव व ब्लॉक स्तर पर सुविधाएँ बनाना।
  5. किसानों को आसान कर्ज़ उपलब्ध कराना।
  6. डिजिटल समाधान – ऐप और डैशबोर्ड से पारदर्शी निगरानी।

योजना कैसे काम करेगी?

इस योजना की सबसे बड़ी ताक़त है कन्वर्जेंस मॉडल यानी कई योजनाओं का एक साथ तालमेल।

  • शामिल योजनाएँ: पीएम-किसान, पीएमएफ़बीवाई (फसल बीमा), पीएमकेएसवाई (सिंचाई), ई-नाम (डिजिटल मंडी) आदि।
  • जिला समिति: हर ज़िले में जिला धन-धान्य समिति बनेगी, जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर करेंगे और इसमें प्रगतिशील किसान, एनजीओ और वैज्ञानिक भी होंगे।
  • डिजिटल ट्रैकिंग: हर ज़िले की प्रगति को 117 संकेतकों से मापा जाएगा।
  • नीति आयोग की भूमिका: तकनीकी सहयोग और ज़िलों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा।

किसानों को मिलने वाले लाभ

  • 1.7 करोड़ किसानों की आय में वृद्धि
  • पिछड़े ज़िलों में फसल चक्र (cropping intensity) बढ़ेगा
  • भंडारण व कोल्ड स्टोरेज से बर्बादी 20% तक कम होगी
  • ग्रामीण स्तर पर रोज़गार सृजन
  • देश की खाद्य सुरक्षा मज़बूत होगी और आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ेगा

पहले की योजनाओं से तुलना

पहलूपुरानी योजनाएँ (PM-Kisan, PMKSY आदि)पीएम धन-धान्य कृषि योजना
फोकसअलग-अलग समस्याओं पर केंद्रितउत्पादन, सिंचाई, कर्ज़ और भंडारण सब मिलकर
कवरेजपूरे देश में100 चयनित ज़िले
क्रियान्वयनमंत्रालयवार, बिखरी हुई11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं का एकीकरण
निगरानीअलग-अलग मंत्रालय की रिपोर्टिंग117 संकेतकों पर डिजिटल डैशबोर्ड
लाभार्थीव्यापक लेकिन बिखरे हुए1.7 करोड़ किसान लक्षित
प्रेरणासामान्य ग्रामीण विकासआकांक्षी ज़िला कार्यक्रम का मॉडल

ज़मीनी उदाहरण

मान लीजिए, पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक ज़िला जहाँ किसान सिर्फ धान की खेती करते हैं क्योंकि न सिंचाई है और न भंडारण।

  • योजना के तहत चेक डैम और माइक्रो-इरिगेशन लगेंगे जिससे किसान दालें और सब्ज़ियाँ भी उगा पाएँगे।
  • गाँव स्तर के गोदाम बनेंगे, जिससे कटाई के बाद 20% तक बर्बादी कम होगी।
  • सस्ते कर्ज़ और बीज मिलने से किसान आधुनिक तकनीक अपनाएँगे।

ऐसी पहलें ज़िलों की कृषि तस्वीर बदल सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्र.1: इस योजना से किसे सबसे ज़्यादा फायदा होगा?
उत्तर: उन किसानों को जो 100 चयनित कमज़ोर कृषि ज़िलों में रहते हैं और जिनके पास सिंचाई, भंडारण और कर्ज़ की सुविधा नहीं है।

प्र.2: यह पीएम-किसान या पीएमएफ़बीवाई से कैसे अलग है?
उत्तर: पीएम-किसान नकद सहायता देता है, पीएमएफ़बीवाई बीमा सुविधा देता है, लेकिन PMDDKY समग्र विकास पर ध्यान देता है—सिंचाई, भंडारण, कर्ज़ और उत्पादन सब एक साथ।

प्र.3: छोटे किसानों को भी लाभ मिलेगा?
उत्तर: हाँ, इस योजना का मुख्य फोकस छोटे और सीमांत किसान हैं।

प्र.4: पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित होगी?
उत्तर: हर ज़िले की प्रगति 117 संकेतकों के आधार पर डिजिटल डैशबोर्ड पर दर्ज होगी।

प्र.5: राज्यों की क्या भूमिका है?
उत्तर: राज्य सरकारें ज़िला-विशेष कार्ययोजना बनाएँगी और क्रियान्वयन में केंद्र के साथ मिलकर काम करेंगी।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना भारतीय कृषि को नई दिशा देने वाली पहल है। यह उन 100 ज़िलों पर केंद्रित है जिन्हें सबसे ज़्यादा मदद की ज़रूरत है। सालाना 24,000 करोड़ रुपये के निवेश और कई योजनाओं के एकीकरण के साथ यह कार्यक्रम किसानों की आय बढ़ाने, उत्पादन में सुधार लाने और खाद्य सुरक्षा मज़बूत करने का लक्ष्य रखता है।

अगर इसे उसी प्रभावी ढंग से लागू किया गया जैसे आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम, तो आने वाले वर्षों में यह योजना भारतीय कृषि को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाएगी बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी।

Leave a Comment